मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम) भारत सरकार द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार प्रदान करने के उद्देश्य से शुरू की गई एक प्रमुख योजना है। राजस्थान राज्य में इस योजना का महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ा है। इस लेख में, हम मनरेगा राजस्थान की प्रमुख विशेषताएं, इसके कार्यान्वयन, उपलब्धियां और चुनौतियों पर विस्तृत चर्चा करेंगे।
मनरेगा राजस्थान
मनरेगा, जिसे पहले NREGA (National Rural Employment Guarantee Act) के नाम से जाना जाता था, को 2005 में लागू किया गया था। इसका मुख्य उद्देश्य ग्रामीण परिवारों को सौ दिनों का सुनिश्चित रोजगार प्रदान करना है ताकि उन्हें आर्थिक स्थिरता मिल सके और ग्रामीण क्षेत्रों में विकास हो सके। यह योजना गरीबी उन्मूलन और ग्रामीण विकास के लक्ष्यों को प्राप्त करने में सहायक रही है। मनरेगा के तहत, ग्रामीण क्षेत्रों के प्रत्येक परिवार को काम मांगने पर 100 दिनों का मजदूरी वाला रोजगार सुनिश्चित किया जाता है।
मनरेगा राजस्थान: प्रमुख विशेषताएं
- सौ दिन का रोजगार: इस योजना के तहत प्रत्येक ग्रामीण परिवार को एक वित्तीय वर्ष में कम से कम 100 दिनों का रोजगार दिया जाता है। यह रोजगार अकुशल कार्य के रूप में प्रदान किया जाता है, जिससे ग्रामीण श्रमिकों को अपने गांव में ही काम मिल सके और उन्हें शहरों की ओर पलायन न करना पड़े।
- मजदूरी का भुगतान: काम के बदले मजदूरी का भुगतान सीधे बैंक खातों में किया जाता है, जिससे पारदर्शिता सुनिश्चित होती है। यह कदम भ्रष्टाचार को रोकने और श्रमिकों को समय पर भुगतान सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है। मजदूरी का भुगतान सुनिश्चित करने के लिए डिजिटल प्रणाली का उपयोग किया जाता है, जिससे धनराशि सीधे लाभार्थियों के खातों में पहुँचती है।
- स्थानीय संसाधनों का उपयोग: स्थानीय संसाधनों और सामग्रियों का उपयोग कर ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे का विकास किया जाता है। इससे न केवल स्थानीय अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहन मिलता है बल्कि पर्यावरण संरक्षण भी सुनिश्चित होता है। स्थानीय संसाधनों के उपयोग से परिवहन लागत में भी कमी आती है।
- महिला सहभागिता: इस योजना में महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका होती है और उन्हें रोजगार के अवसर प्रदान किए जाते हैं। महिलाओं की भागीदारी से उनका आत्मविश्वास बढ़ता है और आर्थिक स्वतंत्रता मिलती है। मनरेगा के तहत कई परियोजनाओं में महिलाओं का नेतृत्व किया जाता है, जिससे उनके सशक्तिकरण को बढ़ावा मिलता है।
कार्यान्वयन
राजस्थान में मनरेगा का कार्यान्वयन ग्राम पंचायतों के माध्यम से किया जाता है। ग्राम पंचायतें कार्यों की योजना बनाती हैं और उन्हें क्रियान्वित करती हैं। इस योजना के तहत विभिन्न प्रकार के कार्य किए जाते हैं जैसे:
- जल संरक्षण और सिंचाई: जल संरक्षण के तहत तालाब, कुएं, और नहरों का निर्माण किया जाता है। यह कार्य जल संकट से निपटने और कृषि के लिए आवश्यक जल की उपलब्धता सुनिश्चित करने में सहायक होता है। सिंचाई परियोजनाएं किसानों को फसल उत्पादन में सहायता प्रदान करती हैं।
- सड़क निर्माण: ग्रामीण सड़कों का निर्माण और मरम्मत इस योजना के तहत किया जाता है। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में परिवहन सुविधाओं में सुधार होता है और बाजारों तक पहुँच आसान हो जाती है। सड़क निर्माण से गांवों का अन्य क्षेत्रों से संपर्क बढ़ता है, जिससे आर्थिक गतिविधियों में वृद्धि होती है।
- वनरोपण और पर्यावरण संरक्षण: इस योजना के अंतर्गत वनरोपण और पर्यावरण संरक्षण के कार्य किए जाते हैं। पेड़ लगाने और पर्यावरण को संरक्षित करने से स्थानीय जलवायु में सुधार होता है और जैव विविधता को बढ़ावा मिलता है।
- ग्रामीण आवास: मनरेगा के तहत ग्रामीण गरीबों के लिए आवास निर्माण के कार्य भी किए जाते हैं। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में रहने की स्थिति में सुधार होता है और गरीब परिवारों को सुरक्षित आवास मिलता है।
- कृषि संबंधी कार्य: कृषि के क्षेत्र में विभिन्न कार्य किए जाते हैं जैसे खेतों की समतलीकरण, जल संचयन संरचनाओं का निर्माण और उर्वरक उपयोग की प्रणाली में सुधार। इससे कृषि उत्पादकता में वृद्धि होती है और किसानों की आय में सुधार होता है।
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उपलब्धियां
मनरेगा राजस्थान ने राज्य में कई महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की हैं:
- रोजगार सृजन: लाखों ग्रामीण परिवारों को रोजगार प्रदान कर उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ है। मनरेगा के तहत रोजगार प्राप्त करने वाले परिवारों की आय में वृद्धि हुई है, जिससे उनकी जीवनशैली में सुधार आया है।
- ग्रामीण विकास: विभिन्न विकासात्मक परियोजनाओं के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे का विकास हुआ है। सड़कों, जल संरचनाओं, और अन्य बुनियादी सुविधाओं के निर्माण से ग्रामीण इलाकों की समग्र विकास में वृद्धि हुई है।
- महिला सशक्तिकरण: इस योजना में महिलाओं की भागीदारी बढ़ी है, जिससे उनके आत्मनिर्भरता में वृद्धि हुई है। महिलाओं ने विभिन्न परियोजनाओं में भाग लेकर न केवल अपने परिवारों की आय बढ़ाई है बल्कि सामाजिक स्थिति में भी सुधार किया है।
- प्रवासी मजदूरों की वापसी: कोविड-19 महामारी के दौरान, मनरेगा ने प्रवासी मजदूरों को उनके गांवों में रोजगार प्रदान कर बड़ी राहत दी। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में मजदूरों का पलायन कम हुआ और स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर बढ़े।
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चुनौतियाँ
मनरेगा राजस्थान के समक्ष कुछ चुनौतियाँ भी हैं जिनका समाधान करना आवश्यक है:
- भुगतान में देरी: मजदूरी के भुगतान में देरी एक महत्वपूर्ण समस्या है। इससे श्रमिकों को आर्थिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। भुगतान प्रक्रिया को तेज और पारदर्शी बनाने के लिए सुधार की आवश्यकता है।
- कुशलता की कमी: ग्रामीण क्षेत्रों में कुशल श्रमिकों की कमी के कारण कई बार कार्य की गुणवत्ता प्रभावित होती है। इस समस्या को दूर करने के लिए श्रमिकों को प्रशिक्षण और कौशल विकास के कार्यक्रमों की आवश्यकता है।
- अनुचित क्रियान्वयन: कुछ क्षेत्रों में योजना का सही तरीके से क्रियान्वयन नहीं हो पाता। इससे लाभार्थियों को पूरी तरह से लाभ नहीं मिल पाता। इस समस्या के समाधान के लिए निगरानी और मूल्यांकन प्रणाली को मजबूत करने की आवश्यकता है।
- भ्रष्टाचार: कई जगहों पर भ्रष्टाचार की समस्या भी देखी गई है जिससे योजना के लाभार्थियों को पूरी तरह से लाभ नहीं मिल पाता। भ्रष्टाचार को रोकने के लिए सख्त कदम उठाने की आवश्यकता है, जैसे कि शिकायत निवारण प्रणाली को मजबूत करना और पारदर्शिता सुनिश्चित करना।
निष्कर्ष
मनरेगा राजस्थान ग्रामीण क्षेत्रों के विकास और रोजगार सृजन के लिए एक महत्वपूर्ण योजना है। इसके माध्यम से न केवल ग्रामीण परिवारों को रोजगार मिला है बल्कि राज्य में बुनियादी ढांचे का भी विकास हुआ है। हालांकि, इसके कार्यान्वयन में सुधार की आवश्यकता है ताकि यह योजना अधिक प्रभावी हो सके और ग्रामीण विकास के लक्ष्यों को प्राप्त कर सके।