झूम खेती (Jhoom Kheti) | झूम खेती क्या है

झूम खेती क्या है

झूम खेती एक नई और सुधारित कृषि तकनीक है जो किसानों को अपने खेतों को बेहतर बनाने के लिए सुझाव देती है। झूम खेती (Jhoom Kheti) के पारंपरिक तरीके में पहले पेड़ों और वनस्पतियों को काटकर उनको जला दिया जाता है और साफ की गई जमीन की जुताई करके खेती की जाती है। लगभग 2-3 वर्षों तक मिट्टी के उपजाऊ रहने तक वहां खेती की जाती है। उसके बाद उसे खाली छोड़ दिया जाता है। वहां दोबारा पेड़-पौधे उग आते हैं।

झूम खेती में उगाई जाने वाली फसलें झूम खेती (Jhoom Kheti) के अंतर्गत लगभग सभी प्रकार की फसलों की खेती की जा सकती है। जिनमें मक्का, मिर्च, सब्जियों की फसल मुख्य है। इस विधि में ज्यादातर सब्जी और कम अवधि वाली फसलों की खेती की जाती है।

झूम खेती का महत्व

  • जल संरक्षण – झूम खेती के द्वारा किसान अपने खेतों को सही तरीके से सिंचाई कर सकते हैं, जिससे जल संरक्षण होता है।
  • ऊर्जा संरक्षण – झूम खेती के सिस्टम से किसान ऊर्जा का भी सही तरीके से उपयोग कर सकते हैं, जिससे ऊर्जा की सुरक्षा होती है।

झूम खेती की विधि

  • जल सिंचाई –झूम खेती में जल सिंचाई को महत्वपूर्ण रूप से देखा जाता है, जिससे खेतों को सही मात्रा में पानी मिलता है।
  • सही बीज चयन – झूम खेती में सही बीजों का चयन करना भी एक कुशल किसान की पहचान है, जो उच्च उत्पादकता की सुनिश्चित करता है।

झूम खेती के फायदे (advantages of jhum cultivation)

इस विधि से खेती करने से मिट्टी की भौतिक स्थितियों में सुधार होता है। फसलों की जड़ वृद्धि होने से मिट्टी के पोषक तत्वों और नमी तक जड़ की पहुंच में सुधार करने और रोपण की गुणवत्ता में सुधार होता है।

झूम खेती के नुकसान (Disadvantages of jhum cultivation)

पर्यावरण को काफी नुकसान होता है। झूम खेती के हानिकारक प्रभावों में मिट्टी की उर्वरता में कमी, मिट्टी का कटाव, वनों की कटाई, वन्यजीवों के आवास का विनाश और नदियों और झीलों में बाढ़ शामिल है। नतीजतन, उत्पादन इतना कम हो जाता है कि एक झुमिया परिवार एक जगह जीवित नहीं रह सकता।

Read More…

8. Conclution

झूम खेती एक सुधारित और सामर्थ्यपूर्ण कृषि तकनीक है जो किसानों को नए और बेहतर दिनों की दिशा में आगे बढ़ने में मदद कर सकती है। इसे अपनाने से कृषि सेक्टर में सुधार होगा और किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा।

FAQs

1 क्या झूम खेती से किसान अधिक उत्पाद प्राप्त कर सकते हैं?

हां, झूम खेती से किसान अधिक उत्पाद प्राप्त कर सकते हैं क्योंकि इसमें सुधारित तकनीकों का उपयोग होता है जो उत्पादकता को बढ़ाते हैं।

2 क्या झूम खेती से प्राकृतिक संरक्षण होता है?

हां, झूम खेती से प्राकृतिक संरक्षण होता है क्योंकि इसमें सुस्त से लेकर पारंपरिक तकनीकों का सही समाहार होता है जो पर्यावरण को संरक्षित रखता है।

3 क्या झूम खेती से किसान आत्म-निर्भर हो सकते हैं?

जी हां, झूम खेती के माध्यम से किसान अपने खेतों की सही देखभाल कर सकते हैं और आत्म-निर्भर हो सकते हैं क्योंकि इसमें नई तकनीकों का उपयोग होता है।

4 क्या झूम खेती को समाज में प्रचारित करना मुश्किल है?

हां, झूम खेती को समाज में प्रचारित करना मुश्किल है क्योंकि लोगों को इस नई तकनीक के प्रति जागरूकता की आवश्यकता है और इसमें शिक्षित बनाने की आवश्यकता है।

5 कैसे सरकारें झूम खेती को समर्थन कर सकती हैं?

सरकारें झूम खेती को समर्थन करने के लिए नीतियों में सुधार करके, किसानों को उचित सुझाव और आर्थिक सहायता प्रदान करके इसे बढ़ावा दे सकती हैं।

Leave a Comment